Friday, October 3, 2008

पंख होते तो उड़ आतिरे ....फ़िल्म : सेहरा

पंख होते तो उड़ आती रे, रसिया ओ जालिमा

तुजे दिल का दाग दिखलाती रे

यादों में खोयी पहुची गगन में,

पंछी बन के सच्ची लगन में

दूर से देखा, मौसम हँसी था,

आनेवाले तू ही नहीं था

रसिया, ओ जालिमा, तुजे दिल का दाग दिखलाती रे



किरणे बन के बाहे फैलाई,


आस के बादल पे जा के लहाराई

जूल चुकी मैं वादे का जुला,

तू तो अपना वादा भी भूला

रसिया, ओ जालिमा, तुजे दिल का दाग दिखलाती रे

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