पुकारता चला हूँ मई, गली गली बहार की
बस एक छाँव जुल्फ की, बस एक निगाह प्यार की
ये दिल्लगी ये शौखियाँ सलाम की
यही तो बात हो रही हैं काम की
कोई तो मुद के देख लेगा इस तरफ़
कोई नजर तो होगी मेरे नाम की
सूनी मेरी सदा तो किस यकीं से
घटा उतर के आ गयी जमीन पे
रही यही लगन तो ए दिला-ये-जवान
असर भी हो रहेगा एक हसीं पे
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