Friday, October 3, 2008

फूलों के रंग से दिल की कलम से ...फ़िल्म : प्रेम पुजारी

फूलों के रंग से, दिल की कलम से, तुज को लिखी रोज पाती

कैसे बताऊँ किस किस तरह से, पल पल मुजे तू सताती

तेरे ही सपने लेकर के सोया, तेरे ही यादों में जागा

तेरे ख्यालों में उलज़ा रहा यूं जैसे के माला में धागा

बादल बिजली चंदन पानी, जैसा अपना प्यार

लेना होगा जनम हमे कई कई बार

इतना मदिर, इतना मधुर तेरा मेरा प्यार

लेना होगा जनम हमे कई कई बार

साँसों की सरगम धड़कन की बीना, सपनों की गीतांजली तू

मन की गली में महके जो हरदम एसी जूही की कली तू

छोटा सफर हो, लंबा सफर हो, सूनी डगर हो या मेला

याद तू आए, मन हो जाए, भीड़ के बीच अकेला

बादल बिजली चंदन पानी, जैसा अपना प्यार.. ..

पूरब हो पश्चिम उत्तर हो दक्षिण तू हर जगह मुस्कुराये

जितना ही जाऊ मैं दूर तुज से, उतनी ही तू पास आए

आंधी ने रोका, पानी ने टोका, दुनिया ने हसकर पुकारा

तसवीर तेरी लेकिन लिए मई, कर आया सब से किनारा

बादल बिजली चंदन पानी, जैसा अपना प्यार.. ..





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