Friday, October 17, 2008

राह बनी ख़ुद मंजिल फ़िल्म ; कोहरा

राह बनी ख़ुद मंजिल

पीछे रह गयी मुश्किल साथ जो आए तुम


देखो फूल बन के सारी धरती खिल पडी

गुजरे आरजू के रास्तों से जिस घड़ी, जिस्म चुराए तुम


ज़राना कह रहा हैं, मेरे दिल की दास्ताँ

मेरी प्यास लेकर छा रही हैं मस्तियाँ, जीन में नहाये तुम


पंछी उड़ गए सब गा के नगमा प्यार का

लेकिन दिल ने एसा जाल फेंका प्यार का, उड़ने ना पाये तुम



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