पत्थर के सनम तुजे हम ने मोहेब्बत का खुदा जाना
बड़ी भूल हुयी, अरे हम ने, ये क्या समजा, ये क्या जाना
चेहरा तेरा दिल में लिए, चलते रहे अंगारों पे
तू हो कही, सजदे किए, हम ने तेरे रुखसारों के
हम सा ना हो, कोई दीवाना
सोचा था ये बढ़ जायेगी, तनहईयाँ जब रातों की
रास्ता हमे दिखलाएगी, शमा-ये-वहा उन हाथों की
ठोकर लगी, तब पहचाना
ए काश के होती ख़बर, तू ने किसे ठुकराया हैं
शीशा नही, सागर नही, मंदीर सा एक दिला धाया हैं
वो आसमा, हैं वीराना
No comments:
Post a Comment