रात के हमसफ़र, थक के घर को चले
जूमाती आ रही, हैं सुबह प्यार की
देख कर सामने रूप की रौशनी
फ़िर लूटी जा रही, हैं सुबह प्यार की
सोनेवालों को हस कर जगाना भी हैं
रात के जागतों को सुलाना भी हैं
देती हैं जागने की सदा साथ ही
लोरियाँ गा रही है, सुबह प्यार की
रात ने प्यार के जाम भर कर दिए
आँखों आँखों से जो मैंने तुम ने पिए
होश तो अब तलक जा के लौटे नही
और क्या ला रही है, सुबह प्यार की
क्या क्या वादे हुए, किस ने खाई कसम
इस नयी राह पर, हम ने रखे कदम
छुप सका प्यार कब हम छुपाये तो क्या
सब समाज पा रही है, सुबह प्यार की
No comments:
Post a Comment