Monday, October 6, 2008

पूछो ना कैसे मैंने रैन बिताए फ़िल्म ;मेरी सूरत तेरी आँखे

पूछो ना कैसे मैंने रैन बिताई

एक पल जैसे, एक जग बीता

जग बीते मोहे नींद ना आयी



उत जले दीपक, आईटी मन मेरा

फ़िर भी ना जाए मेरे घर का अँधेरा

तरपत तरसत उमर गवाई



ना कही चन्दा, ना कही तारें

ज्योत के प्यासे मेरे नैन बेचारे

भोर भी आस की किरण ना लाई



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