ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम
दो जिस्म मगर एक जान हैं हम
एक दिल के दो अरमां हैं हम
तन सौंप दिया, मन सौंप दिया, कुछ और तो मेरे पास नही
जो तुम से हैं मेरे हमदम भगवान से भी वो आस नही
उस दिन से हुए एक दूजे के, इस दुनिया से अनजान हैं हम
सुनते हैं प्यार की दुनिया में, दो दिल मुश्किल से समाते है
क्या गैर वहा अपनों तक के, साए भी ना आने पाते है
हम ने आख़िर क्या देख लिया, क्या बात हैं क्यो हैरान हैं हम
मेरे अपने अपना ये मिलन संगम हैं ये गंगा जमुना का
जो सच हैं सामने आया है, जो बीत गया एक सपना था
ये धरती हैं इंसानों की, कुछ और नहीं इंसान हैं हम
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