ओ रात के मुसाफिर, चन्दा ज़रा बता दे
मेरा कसूर क्या हैं, तू फैसला सूना दे
हैं भूल कोई दिल की, आंखों की या खता हैं
कुछ भी नहीं तो मुज़ से, फ़िर क्यो कोई खफा हैं
मंजूर हैं वो मुज़ को, जो कुछ भी तू सजा दे
दिल पे किसी को अपने काबू नहीं रहा हैं
ये राज मेरे दिल से, आंखों ने ही कहा है
आंखों ने जो हैं देखा, दिल किस तरह भूला दे
ओ चाँद आसमान के, दमभर जमीन पे आ जा
भूला हुआ हैं राही, तू रास्ता दिखा जा
साहिल नैय्या हैं नैय्या, साहिल इसे दिखा दे
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