Wednesday, October 8, 2008

पीते पीते कभी कभी यूँ जाम बदल जाते है ..फ़िल्म : बैराग

रफ़ी: पीते पीते कभी-कभी यूं जाम बदल जाते हैं
जाम बदल जाते हैं - २
अरे काम बदल जाते हैं, लोगों के नाम बदल जाते हैं

रफ़ी: ये परवाना-ए-शमा, मेहमान है इक रात का - २
दिल की बातें छेड़ दूं, डर है बस इस बात का
यहाँ से वहाँ तक जाने में, वहाँ से यहाँ तक आने में
लोग ये कहते हैं जी - २
बंद लिफ़ाफ़े में भी, दिल के पैग़ाम बदल जाते हैं
पीते पीते ...


आशा: दो रुख हर तस्वीर के, हैरां हूँ मैं देख के
रफ़ी: हैरान हूँ मैं देख के
आशा: है इक चेहरा और भी, चेहरे पे हर एक के
रफ़ी: चेहरे पे हर एक के
आशा: नजर को नजर जो आता है, फ़रीबी-नज़र कहलाता है
नींद के इक झोंके से, आँख के इस धोखे से
रफ़ी: राम और शाम बदल जाते हैं

दोनो: पीते पीते ...

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