ल : पास नहीं आना भूल नहीं जाना
तुमको सौगंध है कि आज मोहब्बत बंद है
पास नहीं आना ...
कि : पहले तो आग भड़काती है
फिर दिल की प्यास तू बुझाती है
तेरी यही अदा तो मुझको पसंद है
ल : अच्छा
कि : हाँ-हाँ
ल : मगर आज मोहब्बत बंद है ...
ल : कितना मज़ा है ऐसे जीने में
धक-धक भी होती नहीं सीने में
कोई बेचैनी नहीं कितना आनंद है
कि आज मोहब्बत बंद है ...
कि : मत छेड़ अपने दीवाने को
रहने दे तू इस बहाने को
होंठों पे ना है मगर दिल तो रज़ामंद है
ल : रज़ामंद है
मगर आज मोहब्बत बंद है ...
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