Friday, October 3, 2008

फूल तुम्हे बेजा है ख़त में ....फ़िल्म : सरस्वती चंद्र

फुल तुम्हे भेजा हैं ख़त में, फुल नहीं मेरा दिल हैं

पियातम मेरे मुज़ को लिख दो, क्या ये तुम्हारे काबिल हैं

नींद तुम्हे तो आती होगी, क्या देखा तुम ने सपना

आँख खुली तो,तनहाई थी, सपना हो ना सका अपना

तनहाई हम दूर करेंगे, ले आओ तुम शहनाई

प्रीत बढाकर भूल ना जाना, प्रीत तुम्ही ने सिखलाई

ख़त से जी भरता ही नही, अब नैन मिले तो चैन मिले

चाँद हमारे अंगना उतरे, कोई तो एसी रैन मिले

मिलना हो तो कैसे मिले हम मिलाने की सूरत लिख दो

नैन बिछाए बैठे हैं हम कब आओगे ख़त लिख दो



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