Tuesday, October 7, 2008

परदे में रहने दो ...फ़िल्म: शिकार

परदे में रहने दो, परदा न उठाओ
परदा जो उठ गया तो भेद खुल जायेगा
अल्लाह मेरी तौबा, अल्लाह मेरी तौबा ...

मेरे परदे में लाख जलवे हैं
कैसे मुझसे नज़र मिलाओगे
जब ज़रा भी नक़ाब उठाऊँगी
याद रखना की, जल ही जाओगे
परदे में रहने दो, परदा न उठाओ ...

हुस्न जब बेनक़ाब होता है
वो समाँ लाजवाब होता है
खुद को खुद की खबर नहीं रहती
होश वाला भी, होश खोता है
परदे में रहने दो,परदा न उठाओ ...

हाय जिसने मुझे बनाया है,
वो भी मुझको समझ न पाया है
मुझको सजदे किये हैं इन्साँ ने
इन फ़रिश्तों ने, सर झुकाया है
परदे में रहने दो, परदा न उठाओ ...

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