फ़िर वही शाम वही गम वही तनहाई हैं
दिल को समाजाने तेरी याद चली आयी हैं
फ़िर तसव्वुर तेरे पहलू में बिठा जायेगा
फ़िर गया वक्त घड़ी भर को पलट आयेगा
दिल बहल जायेगा आख़िर को तो सौदी हैं
जाने अब तुज से मुलाक़ात कभी हो के ना हो
जो अधूरी रही वो बात कभी हो के ना हो
मेरी मंजिल तेरी मंजिल से बिछड़ आयी हैं
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