Friday, October 17, 2008

रात और दिन दिया जले ..फ़िल्म : रात और दिन

रात और दिन दिया जले,

मेरे मन में फ़िर भी अंधियारा है

जाने कहा है, साथी,

तू जो मिले जीवन उजियारा है


पग पग मन मेरा ठोकर खाए,

चाँद सूरज भी राह ना दिखाए

एसा उजाला कोई मन में समाये,

जिस से पीया का दर्शन मिल जाए

गहरा ये भेद कोई मुज़ को बताये,

किसने किया हैं मुज़पर अन्याय

जिस का हो दीप वो सुख नहीं पाये,

ज्योत दिए की दूजे घर को सजाये


ख़ुद नहीं जानू ढूंढें किस को नजर,

कौन दिशा हैं मेरे मन की डगर

कितना अजब ये दिल का सफर,

नदियाँ में आए जाए जैसे लहर


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