Friday, August 15, 2008

खिलते है गुल यहाँ ..फ़िल्म: शर्मीली

खिलते हैं गुल यहाँ, खिल के बिखर ने को

मिलते हैं दिल यहाँ, मिल के बिछादाने को

कल रहे ना रहे, मौसम ये प्यार का

कल रुके ना रुके, डोला बहार का

चार पल मिले जो आज प्यार में गुजार दो

जीलो के होठोंपर मेघों का राग हैं

फूलों के सीने में ठण्डी ठण्डी आग हैं

दिल के आईने में ये तू समा उतार ले

प्यासा हैं दिल सनम प्यासी ये रात हैं

होंठों में दबी दबी कोई मीठी बात हैं

इन लम्हों पे आज तू हर खुशी निसार दे

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