Thursday, August 28, 2008

मन रे तू कहे ना धीरे ..फ़िल्म : चित्रलेखा

मन रे तू काहे ना धीर धरे

वो निरमोही मोह ना जाने, जिनका मोह करे



इस जीवन की चढ़ती ढलती, धुप को किस ने बांधा

रंग पे किस ने पहरे डाले, रूप को किस ने बांधा

काहे ये जातां करे, मन रे ...



उतना ही उपकार समाज कोई जितना साथ निभाये

जन्म-मरण का मेल हैं सपना, ये सपना बिसरा दे

कोई ना संग मरे, मन रे ...



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