रसिक बलमा, हाय, दिल क्यों लगाया
तोसे दिल क्यों लगाया, जैसे रोग लगाया
जब याद आये तिहारी
सूरत वो प्यारी प्यारी
नेहा लगा के हारी
आ~
नेहा लगा के हारी
तड़पूँ मैं ग़म की मारी
रसिक बलमा ...
ढूँधे हैं पागल नैना
पाये न इक पल चैना
डसती है उज्दड़ी रैना
आ~
डसती है उज्दड़ी रैना
कासे कहूँ मैं बैना
रसिक बलमा ...
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