शराबी-शराबी ये सावन का मौसम
ख़ुदा की क़सम ख़ूबसूरत न होता
अगर इसमें रंग-ए-मुहब्बत न होता
शराबी-शराबी ...
सुहानी-सुहानी ये कोयल की कूकें
उठाती हैं सीने में रह-रह के हूकें
छलकती है मस्ती घने बादलों से
उलझती हैं नज़रें हसीँ आँचलों से
ये पुरनूर मंज़र
ये पुरनूर मंज़र ये रंगीन आलम
ख़ुदा की क़सम ख़ूबसूरत न होता
अगर इसमें रंग-ए-मुहब्बत न होता
शराबी शराबी ...
गुलाबी-गुलाबी ये फूलों के चेहरे
ये रिमझिम के मोती ये बूँदों के सेहरे
कुछ ऐसी बहार आ गई है चमन में
के दिल खो गया है इसी अंजुमन में
ये महकी नशीली
ये महकी नशीली हवाओं का परचम
ख़ुदा की क़सम ख़ूबसूरत न होता
अगर इसमें रंग-ए-मुहब्बत न होता
शराबी शराबी ...
ये मौसम सलोना अजब ग़ुल खिलाए
उमंगें उभारे उम्मीदें जगाए
वो बेताबियाँ दिल से टकरा रहीं हैं
के रातों की नींदें उड़ी जा रहीं हैं
ये सहर-ए-जवानी
ये सहर-ए-जवानी ये ख़्वाबों का आलम
ख़ुदा की क़सम ख़ूबसूरत न होता
अगर इसमें रंग-ए-मुहब्बत न होता
शराबी शराबी ...
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