सजन रे जूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना हैं
ना हाथी हैं ना घोडा है, वहा पैदल ही जाना हैं
तुम्हारे महल चौबारे, यही रह जायेंगे सारे
अकड़ किस बात की प्यारे, ये सर फ़िर भी ज़ुकाना हैं
भला कीजे भला होगा, बुरा कीजे बुरा होगा
बही लिख लिख के क्या होगा, यही सबकुछ चुकाना हैं
लड़कपन खेल में खोया, जवानी निंदभर सोया
बुढापा देखकर रोया, वही किस्सा पुराना हैं
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