सुहानी रात ढल चुकी, ना जाने तुम कब आओगे
जहां की रुत बदल चुकी, ना जाने तुम कब आओगे
नजारे अपनी मस्तियाँ, दिखा दिखा के सो गए
सितारे अपनी रोशनी लूटा लूटा के सो गए
हर एक शम्मा जल चुकी, ना जाने तुम कब आओगे
तड़प रहे हैं हम यहाँ, तुम्हारे इंतजार में
फिजा का रंग आ चला हैं मौसम-ये-बहार में
हवा भी रुख बदल चुकी, ना जाने तुम कब आओगे
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