दुःख हो या सुख जब सदा संग रहे ना कोय
फ़िर दुःख को अपनाईये, के जाए तो दुःख ना होय
राही मनवा दुःख की चिंता क्यो सताती हैं,
दुःख तो अपना साथी हैं
सुख हैं एक छाँव ढलती आती है, जाती हैं, दुःख तो अपना साथी हैं
दूर हैं मंजिल दूर सही, प्यार हमारा क्या कम हैं
पग में कांटे लाख सही, पर ये सहारा क्या कम हैं
हमराह तेरे कोई अपना तो हैं
सुख हैं एक छाँव ढलती आती हैं, जाती हैं
दुःख हो कोई तब जलाते हैं, पथ के दीप निगाहों में
इतनी बड़ी इस दुनिया की, लंबी अकेली राहों में
हमराह तेरे कोई अपना तो हैं
सुख हैं एक छाँव ढलती आती हैं, जाती हैं
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