सुनो सजना, पपीहे ने कहा सब से पुकार के
संभाल जाओ चमनावालो, के आए दिन बहार के
फूलों की डालियाँ भी यही गीत गा रही है
घडीयाँ पीया मिलन की नजदीक आ रही है
हवाओं ने जो छेदे है, फ़साने हैं वो प्यार के
देखो ना एसे देखो, माजरी हैं क्या तुम्हारी
बेचैन कर ना देना, तुम को कसम हमारी
हम ही दुश्मन ना बन जाए, कही अपने करार के
बागों में पड़ गए है, सावन के मस्त जूले
एसा समा जो देखा, राही भी राह भूले
के जी चाहा यही रख दे, उमर सारी गुजर के
No comments:
Post a Comment