रफ़्ता रफ़्ता वो हमारे दिल के अर्माँ हो गए
पहले जाँ, फिर जान-ए-जाँ
फिर जान-ए-जानाँ हो गए
रफ़्ता रफ़्ता...
रफ़्ता रफ़्ता वो मेरी तस्कीं का सामाँ हो गए
पहले दिल फिर दिल्रुबा फिर दिल के मेहमाँ हो गए
रफ़्ता रफ़्ता...
रफ़्ता रफ़्ता उन की आँखों का नशा बढ़ने लगा
पहले मय फिर मैकदा फिर मय का तूफ़ाँ हो गए
रफ़्ता रफ़्ता ...
रफ़्ता रफ़्ता हुस्न निखरा और निखरता ही गया
पहले गुल फिर गुल्बदन फिर गुल बदामाँ हो गए
रफ़्ता रफ़्ता ...
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