सावन का महीना, पवन करे सर
जियारारे जूमी एसे, जैसे बन माँ मोर
राम गजब धाये ये पूरावाय्या
नैय्या संभालो कित खोये हो खिवय्या
पूरावाय्या के आगे चले ना कोई जोर
मौजवान करे क्या जाने, हम को इशारा
जाना कहा हैं पूछे नदीयाँ की धारा
माजरी हैं तुम्हारी, ले जाओ जिस और
जिन के बालम बैरी गए हैं विदेसवा
आयी हैं ले के उनके प्यार का संदेसवा
कारी, मतवारी घटाएं घनघोर
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