वो हसीन दर्द दे दो, जिसे मैं गले लगा लूँ
वो निगाह मुझपे डालो, कि मैं ज़िंदगी बना लूँ
वो हसीन दर्द ...
मैं तुमसे मांगती हूँ, ज़रा अपना हाथ दे दो
मुझे आज ज़िंदगी की, वो सुहागरात दे दो
जिसे लेके कुछ न मांगूं, और मांग में सजा लूँ
वो हसीन दर्द ...
मेरी आरज़ू तो देखो, तुम्हें सामने बिठा कर
कभी दिल के पास लाकर, कभी दिलरुबा बना कर
कोई दास्तान सुन लूँ, कोई दास्तां सुना लूँ
वो हसीन दर्द ...
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