( ऊँचे हिमालय के नीचे
छुप के चनारों के पीछे
सोए रहेंगे मेरे सपने ) -२
कब तक यूँ ही अँखियाँ मीचे-मीचे
हो ऊँचे हिमालय के ...
ऐसे रहे ये मनवा व्याकुल
क़ैद में जैसे कोई बुलबुल
अब ना भाएँ मुझको बाबुल
ये तेरे बाग़-बग़ीचे
ऊँचे हिमालय के ...
धूप से खेले ऐसे छईयाँ
प्यार में जैसे कोई सैंया
थाम ले कँगना वाली बईयाँ -२
पनघट पे पीपल के नीचे-नीचे
ऊँचे हिमालय के ...
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