तेरे खयालों में हम, तेरे ही बाहों में हम -२
अपने हैं दोनो जहाँ, ओ जान-ए-बेखुदी यहाँ
तेरे खयालों ...
यूँ रोशनी भोर की, पलकों में तेरे छुपी
जब आँख खोलेगा तू, पुतली में होंगे हमीं
हम हैं कला की जगह, आँखों में तेरे रवन
तेरे खयालों में हम, तेरे ही बाहों में हम
मदभर चंचल ये शाम, देती है तुझको पयाम
पत्थर से कर शायरी, तुझको हमारा सलाम
तू है जहाँ हम वहाँ, झूमे ज़मीं आस्मां
तेरे खयालों में हम, तेरे ही बाहों में हम
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