तेरी दुनिया से हो के मजबूर चला
मैं बहुत दूर, बहुत दूर, बहुत दूर चला
तेरी दुनिया से ...
इस क़दर दूर हूँ मैं लौट के भी आ न सकूँ
ऐसी मंज़िल कि जहाँ खुद को भी मैं पा न सकूँ
और मजबूरी है क्या, इतना भी बतला न सकूँ
तेरी दुनिया से ...
आँख भर आयी अगर, अश्क़ों को मैं पी लूँगा
आह निकली जो कभी, होंठों को मैं सी लूँगा
तुझसे वादा है किया, इस लिये मैं जी लूँगा
तेरी दुनिया से ...
खुश रहे तू है जहां ले जा दुआएं मेरी
तेरी राहों से जुदा हो गयी राहें मेरी
कुच नहीं पास मेरे, बस हैं खताएं मेरी
तेरी दुनिया से ...
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