आ जा रे ऐ ऐ ऐ परदेसी
मैं तो कब से खड़ी इस पार
ये अँखियाँ, थक गई पंथ निहार
आ जा रे, परदेसी
(तुम संग जनम जनम के फेरे
भूल गये क्यूँ साजन मेरे ) - २
तड़पत हूँ मैं सांझ सवेरे, ओ ...
आ जा रे, मैं तो कब से खड़ी इस पार ...
(मैं नदिया फिर भी मैं प्यासी
भेद ये गहरा बात ज़रा सी ) - २
बिन तेरे हर रात उदासी, ओ ...
आ जा रे, मैं तो कब से खड़ी इस पार ...
मैं दिये की ऐसी बाती
जल न सकी जो बुझ भी न पाती
आ मिल मेरे जीवन साथी, ओ ...
आ जा रे, मैं तो कब से खड़ी इस पार ...
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