तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती नज़ारे हम क्या देखें
तुझे मिलके भी प्यास नहीं घटती नज़ारे हम क्या देखें
पिघले बदन तेरे तपती निगाहों से
शोलों की आँच आए बर्फ़ीली राहों से
लगे कदमों से आग लिपटती नज़ारे हम ...
रंगों की बरखा है खुशबू का साथ है
किसको पता है अब दिन है की रात है
लगे दुनिया भी आज सिमटती नज़ारे हम ...
पलकों पे फैला तेरी पलकों का साया है
चेहरे ने तेरे मेरा चेहरा छुपाया है
तेरे जलवों की धुँध नहीं छँटती नज़ारे हम ...
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