मु : आ अब लौट चलें -२
नैन बिछाए बाँहें पसारे तुझको पुकारे देश तेरा
ल : आ जा रे -२
को : आ आ आ
मु : सहज है सीधी राह पे चलना
देख के उलझन बच के निकलना
कोई ये चाहे माने न माने
बहुत है मुश्किल गिर के स.म्भलना
आ अब लौट चलें ...
आँख हमारी मंज़िल पर है
दिल में ख़ुशी की मस्त लहर है
लाख लुभाएँ महल पराए
अपना घर फिर अपना घर है
आ अब लौट चलें ...
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