कही पे निगाहें, कही पे निशाना
जीने दो जालिम बनाओ ना दीवाना
कोई ना जाने इरादे हैं किधर के
मार ना देना तीर नजर का, किसी के जिगर में
नाजुक ये दिल है, बचाना ओ बचाना
तोबा जी तोबा, निगाहों का मचलना
देख भाल के ए दिलवालों, पहलू बदलना
काफीर अदा की अदा हैं मसताना
जख्मी हैं तेरे जाए तो कहा जाए
तेरे तीर के मारे हुए देते हैं सदायें
कर दो जी घायल तुम्हारा हैं ज़माना
आया शिकारी ओ पंछी तू संभाल जा
एक जाल हैं जुल्फोंका तू चुपके से निकल जा
उड़ जा ओ पंछी शिकारी हैं दीवाना
सिंगर : समशाद बेगम
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