क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम वो इरादा
भूलेगा दिल जिस दिन तुम्हे
वो दिन जिंदगी का, आखरी दिन होगा
याद हैं मुज़ को, तू ने कहा था
तुम से नहीं रुठेंगे कभी
दिल की तरह से हाथ मिले हैं
कैसे भला छूटेंगे कभी
तेरी बाहों में बीती हर शाम
बेवफा, ये भी क्या याद नहीं
ओ कहने वाले मुज़ को फरेबी
कौन फरेबी हैं ये बता
वो जिस ने गम लिया, प्यार की खातिर
या जिस ने प्यार को बेच दिया
नशा दौलत का एसा भी क्या
के तुजे कुछ भी याद नहीं
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