मैं रंगीला प्यार का राही, दूर मेरी मंजिल
शौख नजर का तीर तूने मारा, दिल हुआ घायल
तेरे ही संभाल के रखा था, प्यार भरा ये दिल
तेरे इशारों पे चलता रहेगा, ओ मेरे कातिल
तेरी राह पर जो मैं रुक गया, मुजे रही ना अपनी ख़बर
मेरे साथ चल मेरे हमसफ़र, अब तेरी मेरी एक डगर
जो आज हैं वो कभी न था, ये चमन पे उजाला निखार
ये रंग हैं मेरे प्यार का जो खिला हैं बन के बहार
No comments:
Post a Comment