Friday, August 29, 2008

मौसम है आशिकाना ...फ़िल्म: पकीजः

मौसम हैं आशिकाना

ए दिल कही से उनको एसे में ढूंढ लाना



कहना के रुत जावा है, और हम तरस रहे हैं

काली घटा के साए, बिरहन को दस रहे हैं

डर हैं ना मार डाले, सावन का क्या ठिकाना



सूरज कही भी जाए, तुम पर ना धुप आए

तुम को पुकारते है, इन गेसूओं के साए

आ जाओ मैं बना दू, पलकों का शामियाना



फिरते हैं हम अकेले, बाहों में कोई लेले

आख़िर कोई कहा तक तनहईयों से खेले

दिन हो गए हैं जालिम राते हैं कातिलाना



ये रात ये खामोशी, ये ख्वाब से नजारे

जुगनू हैं या जमीन पर, उतरे हुए हैं तारे

बेखाब मेरी आँखे, मदहोश हैं ज़माना

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