मंजिल वही हैं प्यार की, राही बदल गए
सपनों की महफ़िल में हम तुम नए
दुनिया की नजरों से दूर, जाते हैं हम तुम जहा
उस देश की चांदनी, जायेगी ये दास्तान
मौसम था वो बहार का, दिल थे मचल गए
छुप ना सके मेरे राज नगमों में ढलने लगे
रोका था फ़िर भी ये दिल पहलू बदलने लगे
ये दिन ही कुछ अजीब थे, जो आजकल गए
No comments:
Post a Comment