खुश रहो, हर खुशी हैं तुम्हारे लिए
छोड़ दो आंसूओं को हमारे लिए
क्यों उदासी की तसवीर बनाकर खड़े
गम उठाने को दुनिया में हम तो पड़े
मुस्कुराने के दिन हैं, ना आहें भरो
मेरे होते ना ख़ुद को परेशान करो
बिजली चमके तुम्हें डर की क्या बात हैं
रोशनी की यही तो शुरुवात हैं
टूटनी हैं जो बिजली मेरा सर तो हैं
जो अंधेरे हैं बेघर, मेरा घर तो हैं
तुम बहारों से शिकवा ना करना कभी
दे दो कांटे हमें फूल ले लो सभी
फूल कोई कुचल जाए जब भूल में
सोच लेना के हम मिल चुके धूल में
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