कोइ आया धड़कन कहती हैं
धीरे से पलकों की ये गिरती,
उठती चिलमन कहती हैं
होने लगी किसी आहात की फुलाकारीया
परवाने बनके उडी दिल की चिन्गारीया
जूम गया, जिलामिलाता दिया
चाँद हँसा लेके दर्पण मेरे सामने
घबरा के मैं लत उलज़ी थाम ने
छेड़ गयी मुजे चंचल हवा
आ ही गया मीठी मीठी सी उलज़ं लिए
खो ही गया मैं तो शरमाई चितवन लिए
गोरे बदन से पसीना बहा
Asha at her best ....
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