मैं तो एक ख्वाब हूँ, इस ख्वाब से तू प्यार ना कर
प्यार हो जाए तो फ़िर प्यार का इजहार ना कर
ये हवाएं कभी, चुपचाप चली जायेंगी
लौट के फ़िर कभी गुलशन में नहीं आयेंगी
अपने हाथों में हवाओं को गिरफ्तार न कर
तेरे दिल में है, मोहब्बत के भड़कते शोले
अपने सीने में छुपा ले ये, धड़कते शोले
इस तरह प्यार को रुसवा सर-ये-बाजार ना कर
शाख से टूट के गूंचे भी कही खिलते है
रात और दिन भी जमाने में कही मिलते है
भूल जा, जाने दे तकदीर से, तकरार ना कर
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