मैं आशिक हूँ बहारों का, नजारों का,
फिजाओं का, इशारों का
मैं मस्ताना मुसाफिर हूँ,
जवान धरती के अनजाने किनारों का
सदियों से जग में आता रहा मैं,
नए रंग जीवन में लाता रहा मैं
हर एक देस में, नित नए भेस में
कभी मैंने हस के दीपक जलाए,
कभी बन के बादल आंसू बहाए
मेरा रास्ता, प्यार का रास्ता
चला गर सफर को कोई बेसहारा,
तो मैं हो लिया संग लिए एक तारा
गाता हुआ, दुःख भुलाता हुआ
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