मन डोले, मेरा तन डोले
मेरे दिल का गया करार रे
ये कौन बजाये बासुरीयाँ
मधुर मधुर सपनों में देखी मैंने राह नवेली
तोड़ चली मैं लाज का पहरा, जाने कहा अकेली
चली मई, जाने कहा अकेली
रस घोले, धून यूं बोले, जैसे ठण्डी पड़े पुहार रे
ये कौन बजाये बासुरीयाँ
कदम कदम पर रंग सुनहरा, ये किस ने बिखराया
नागन का मन बस कराने, ये कौन सपेरा आया
ये कौन सपेरा आया
पग डोले, दिल यूं बोले, तेरा हो के रहा शिकार रे
ये कौन बजाये बासुरीयाँ
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