लुटे कोई मन का नगर, बन के मेरा साथी
कौन हैं वो, अपनों में कभी, एसा कही होता है
ये तो बड़ा धोखा है
यही पे कही है, मेरे मन का चोर
नजर पड़े तो, बैय्या दू मरोड़
जाने दो, जैसे तुम प्यारे हो
वो भी मुजे प्यारा है
जीने का सहारा है
देखो जी, तुम्हारी यही बतिया
मुज़ को हैं तड़पाती
रोग मेरे जी का, मेरे जी का चैन
साँवला सा मुखडा, उस पे कारे नैन
एसे को, रोके अब कौन भला
एदिल से जो प्यारी है, सजनी हमारी है
का करू मैं बीन उसके रह भी नहीं पाती
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