ना बोले, ना बोले, ना बोले रे
घूंघट के पट ना खोले रे
राधा, ना बोले, ना बोले, ना बोले रे
राधा भरी लाज भरी आखियों के डोरे
देखोगे कैसे अब गोकुल के छोरे
देखो मोहन का मनवा डोले रे
याद करो जमुना किनारे, सावरीयाँ
फोडी थी राधा की काहे गगरीया
इस कारण ना तुम संग बोले रे
रूठी हुयी, यूं ना मानेगी छलिया
चरणों में राधा के रख दो मुरलियां
बात बन जायेगी हौले हौले
No comments:
Post a Comment