ना तुम हमे जानो, ना हम तुम्हे जाने
मगर लगता हैं, कुछ एसा,
मेरा हमदम मिल गया
ये मौसम ये रात चुप हैं
दो होंठों की बात चुप हैं
खामोशी सुनाने लगी हैं दास्तान
नजर बन गयी हैं, दिल की जुबान
मोहब्बत के मोड़ पे हम
मिले सब को छोड़ के हम
धड़कते दिलों का लेके ये कारवां
के जायेंगे दोनों जाने कहा?
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