ना आदमी का कोई भरोसा, ना दोस्ती का कोई ठिकाना
वफ़ा का बदला हैं बेवफाई, अजब ज़माना हैं ये ज़माना
ना हुस्न में अब वो दिलकशी है, ना इश्क में अब वो जिंदगी है
जिधर निगाहें उठा के देखो, सितम हैं धोखा हैं बेरुखी है
बदल गए जिंदगी के नगमें, बिखर गया प्यार का तराना
दवा का बदले में जहर दे दो, उतार दो मेरे दिल में खंजर
लहू से सींचा था जिस चमन को, उगे हैं शोले उस ही के अन्दर
मेरे ही घर के चिराग ने ख़ुद, जला दिया मेरा आशियाना
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