Sunday, September 14, 2008

नील गगन के छाँव में ..फ़िल्म : आम्रपाली

नील गगन की चाँव में दिन रैन गले से मिलते हैं
मन पंछी बन उड़ जाता है हम खोये-खोये रहते हैं
आऽ

जब फूल कोई मुस्काता है ... आ जाती है
नस-नस में भँवर सा उठता है

कहता है समय का उजियारा इक चन्द्र भी आने वाला है
इन जोत की प्यासी अंखियों को आँखों से पिलाने वाला है
जब पात हवा में झरते हैं हम चौँक के राहें तकते हैं
मन पंछी बन उड़ जाता है हम खोये-खोये रहते हैं
आऽ

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