ओ जानेवाले, हो सके तो लौट के आना
ये घाट, तू ये बाँट कही भूल ना जाना
बचपन के तेरे मीत तेरे संग के सहारे
ढूँढेंगे तुजे गली गली, सब ये गम के मारे
पूछेगी हर निगाह कल तेरा ठिकाना
दे दे के ये आवाज कोई हर घड़ी बुलाए
फ़िर जाए जो उस पार कभी लौट के ना आए
है भेद ये कैसा कोई कुछ तो बताना
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