नीले गगन के तले, धरती का प्यार पले
एसे ही जग में, आती हैं सुबहे,
एसे ही शाम ढले
शबनम के मोती, फूलों पे बिखरे,
दोनों की आस फले
नीले गगन के तले.. ..
बलखाती बेले, मस्ती में खेले,
पदों से मिल के गले
नीले गगन के तले.. ..
नदियाँ का पानी, दरियां से मिल के,
सागर की और चले
नीले गगन के तले.. ..
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