Thursday, September 4, 2008

मोहे भूल गए सावरिया ..फ़िल्म बैजू भावरा



This is my 600 th post :




मोहे भूल गए सावरीयाँ,

भूल गए सावरीयाँ

आवन कह गए, अजहू न आए

लीनी ना मोरी खबरीयाँ

दिल को दिए क्यों दुःख बिरहाके,

तोड़ दिया क्यों महल बना के

आस दिला के, ओ बेदर्दी,

फेर ली काहे नजरीयाँ

मोहे भूल गए सावरीयाँ ...

नैन कहे रो रो के सजना,

देख चुके हम प्यार का सपना

परीत हैं जूठी, परीतं जूठा,

जूठी हैं सारी नगरीयाँ

मोहे भूल गए सावरीयाँ ...

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